Thursday, May 12, 2011

क्या..क्या बनना चाहा था ... बेईमान बन गया हूँ

बहुत चाहा से फुर्सत नहीं मिल पा रही थी इस बीच कई घटनाएँ घट गईं एक के बाद एक घोटालों का भंडाफोड़ होना, कई राज्यों में राजनीति-उद्योगपति-प्रशासन के मज़बूत गठजोड़ का गांवों और जंगलों के किसान और आदिवासियों पर कहर बन बरपना, पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों की जनता का अपने शासकों के खिलाफ संगठित विरोध करना और अमेरिका का उसमें अपने फायदे के लिए गैरवाजिब दखल बढ़ाना ,भारत का क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीतना, अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के विरोध का आन्दोलन और ओसामा का अमेरिका द्वारा एनकाउन्टर में मारा जाना. इतनी सारी घटनाओं के बीच अनगढ़ और मनगढ से मुलाकात कर उनके विचार जानने का मौका नहीं मिल पाया इसका अफ़सोस रहा है दुनिया को जानने और समझने के एक बहुत पक्के और जिंदा स्रोत से दूरी कैसे सही जा सकती है ? हम चल पड़े अनगढ़ के ठिया पर।

अनगढ़ अपनी मंडली में बैठे मस्ती से गा रहे हैं ... "क्या ...क्या बनना chaaha था ... ... बेईमान बन गया हूँ..."
'बेईमान' गाते समय अनगढ़ जाने कैसी सूरत बनाते हैं ... कि सब हँस पड़ते हैं।
अनगढ़ का गाना जारी है... " जाना, तुम्हारे प्यार में ... शैतान बन गया हूँ..."
"अबे, ठीक से गा सकते? और इस उम्र में किसके इश्क में मरे जा रहे हो...?" गबरू ने कोहनी से ठेलते हुए कहा। खोमचेवाले ने तिरछी नज़रों से अनगढ़ को देखा और मूछों के भीतर मुस्काने लगा।
"हम्मे मुकेशवा का गाना नीक लागेला। हमरे ज़माने का गाना हव। गाना खास हव काहे कि परदे पे महमूदवा गावत हव।" थोडा रूककर अनगढ़ आगे बोले " गाना हम्मे पसंद हव काहे कि पोलिटिकल गाना हव"
चुंडीधारी ने अनगढ़ की ओर ऐसे देखा जैसे अनगढ़ के कही भंग नाही चढ़ल हव?
"अनगढ़, तू ज्यादती करत हौवा। गाना प्रेमी प्रेमिका के लिए गावत हव। तू हर चीज़ में सामाजिकता भिड़ा देवला " मनगढ ने हंसी उड़ाते हुए कहा।
"हमहूँ प्रेमिका के लिए ही गावत हईं " मुस्कियाते हुए अनगढ़ बोले। "सारा जहाँ लोकतंत्र का दीवाना है। लोकतंत्र के इश्क में हम भी गा रहे हैं।" और फिर अनगढ़ दिल पे हाथ रखकर अगली पंक्तियाँ गाने लगे ... " हम तो दीवाने है... तेरे नाम के ... दिल लुटा बैठे है जिगर थाम के... " थोडा दम लेकर बोले " अरे, तनिक सोचो, अमेरिका इराक पर बम बारी करता रहे, अफगानिस्तान को रौंद दे और कहे कि यह लोकतंत्र की रक्षा के लिए है। पाकिस्तान में घुसकर ओसामा का एनकाउन्टर कर दे तो भी लोकतंत्र की ही रक्षा होती है ! हम भी उसके सुर में सुर मिलाकर इस जैसे लोकतंत्र के प्यार में पागल हुए जा रहे है! लोकतंत्र की दुहाई है! हम तो लगायेंगे कि ... दिल ही नही, दिमाग भी लुटा बैठे हैं जिगर थाम के ..." अनगढ़ चढ़ी आवाज़ में गाने लगे।
"बात सही हव, लोकतंत्र में क्या-क्या बनने का सपना देख रहे थे और शैतान बन गए है" मुरली ने नाली में पान का पीक थूकते हुए कहा। "हमारी लोकतांत्रिक सरकारों को जंगलों से आदिवासियों को खदेड़ने में कोई कष्ट नाही होता। आदिवासियों की ज़िन्दगी तबाह करते हुए भी हम विकास का असुंदर गीत गाने में मदहोश हैं "
" किसानों की ज़मीन छीनने में और उनके विरोध करने पर उनपर गोली चलाने में कोई दर्द नहीं होता। लोकतंत्र का गान निर्बाध चलता है." हरिया तड़प कर बोले।
"खुद एक-से एक बड़े घोटाले में फंसे हैं ... खूब पैसा खायेंगे ... चाहे कलक्टर हो, चाहे मंत्री, चाहे जज, चाहे पर्फेस्सर ... लेकिन लोकतंत्र के प्रति प्रेम अटूट रहेगा , अमर रहेगा!" खोमचे वाला गरदन झटका कर बोला।
" जहाँ लोकतंत्र नहीं है उन्हें ऐसे हिकारत से देखेंगे जैसे जाहिल हैं और लोकतंत्र में हैवान भी सम्माननीय हो जाता है। " दद्दू दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए बोले।
अनगढ़ अचानक जोर से गाने लगे " इतना मैं गिर चुका हूँ... के ...हैवान बन गया हूँ ... क्या क्या बनना चाहा था ... बेईमान बन गया हूँ ..जाना ..." 'जाना' गाते गाते अनगढ़ दद्दू से लिपट गए।
मनगढ कुछ उदास हो गए, बोले " लोकतंत्र में लोगों पर इतनी मार पड़ रही है, लेकिन कही कोई बड़ी हलचल या आवाज़ नहीं उठती है। जो उठाते हैं उन्हें आतंकवादी या नक्सलवादी करार दे देते हैं। ये भी कोई लोकतंत्र है?"
अनगढ़ मनगढ की ओर देखते हुए गाने लगते हैं... " अब तो पत्थर की बस इक तस्वीर हूँ ... या समझ लो इक बुते बेपीर हूँ... "

अगली पंक्ति गबरू बड़े सुर में उठा लेते हैं... " अपने पैरों बंध गयी जो प्यार से ... ऐसी उलझी हुई जंजीर हूँ ..."

सभी जोर से गाने लगते है... " इश्क ने हमको निकम्मा कर दिया ... वरना हम भी आदमी थे काम के..."


कस्तूरी

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